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Workshop 4th Day
Posted on 04/09/2025
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में रचनात्मक पहल
राजकीय महाविद्यालय फतेहाबाद की कार्यशाला के चौथे दिन शैक्षणिक नवाचार और व्यवहारिक प्रशिक्षण का संगम
राजकीय महाविद्यालय, फतेहाबाद में आयोजित पाँच दिवसीय अंतर-महाविद्यालय कार्यशाला के चौथे दिन पर्यावरणीय संरक्षण और स्थायी जीवनशैली को लेकर छात्रों में विशेष उत्साह देखने को मिला। इस कार्यशाला का आयोजन "Recycling, Energy & Conservation and Zero Waste Sustainable Future" विषय पर किया जा रहा है, जिसमें प्रतिदिन नई-नई गतिविधियों और विशेषज्ञों के व्याख्यानों के माध्यम से छात्रों को व्यवहारिक ज्ञान प्रदान किया जा रहा है।
कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयभगवान यादव के प्रेरणादायक संबोधन से हुई। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, "आज का समय केवल जानकारी प्राप्त करने का नहीं, बल्कि अपने व्यवहार को बदलने का है। शून्य अपशिष्ट (Zero Waste) जीवनशैली की ओर बढ़ना अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। यह कार्यशाला हमारे विद्यार्थियों को न केवल शिक्षित कर रही है, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक भी बना रही है।"
प्राचार्य के उद्बोधन के उपरांत रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर श्री अमित कुमार ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक के दुष्प्रभावों पर विस्तृत और तथ्यात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक, आधुनिक जीवन की एक घातक सुविधा है, जो न केवल धरती को प्रदूषित कर रही है, बल्कि जल जीवन, वन्य जीवों और मानव स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि: "हर वह प्लास्टिक जो हम एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते हैं, वह धरती पर वर्षों तक पड़ा रहता है, और धीरे-धीरे यह हमारी मिट्टी, जल, वायुमंडल और शरीर में प्रवेश कर जाता है। अब समय है कि हम इसके विकल्पों को अपनाएँ और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।" डॉ. अमित ने पुन: उपयोग योग्य सामग्री, जैविक विकल्पों और व्यक्तिगत जिम्मेदारी को स्थायी समाधान के रूप में प्रस्तुत किया। छात्रों ने इस सत्र में गहन रुचि दिखाई और प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान अपनी जिज्ञासाओं को खुलकर साझा किया।
दिन का सबसे रचनात्मक और आकर्षक हिस्सा रहा — वेस्ट पेपर से फूल बनाना, स्टेंसिल पेंटिंग, गिफ्ट बोतल सजावट और वॉटर कैंडल निर्माण का प्रशिक्षण, जिसे श्रीमती ललिता और श्रीमती सीमा द्वारा संचालित किया गया। इस सत्र के दौरान छात्रों ने यह सीखा कि किस प्रकार घर में उपलब्ध सामान्य सामग्रियाँ — जैसे काँच के बर्तन, पानी, रंगीन तेल, फूल-पत्तियाँ, मोती, बटन आदि — का उपयोग करके सुंदर और पर्यावरण-अनुकूल कैंडल्स बनाई जा सकती हैं।
छात्रों ने प्रशिक्षण के दौरान समूहों में कार्य करते हुए अनेक प्रकार की जल कैंडल्स तैयार कीं, जिनमें सौंदर्य, रचनात्मकता और स्थायित्व का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। कई प्रतिभागियों ने पारंपरिक सजावटी सामग्रियों की जगह जैविक वस्तुओं का उपयोग कर ‘इको-फ्रेंडली’ डिज़ाइन प्रस्तुत किए, जो प्रदर्शनी का आकर्षण बने। कार्यक्रम स्थल एक मिनी-प्रदर्शनी जैसा प्रतीत हो रहा था, जहाँ नवाचार और पर्यावरणीय सोच का जीवंत दृश्य उपस्थित था।
इस प्रशिक्षण के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि जब शिक्षा को व्यवहारिक अनुभव से जोड़ा जाता है, तब वह न केवल ज्ञान देती है, बल्कि चेतना और परिवर्तन का माध्यम बन जाती है।
आयोजन सचिव डॉ. कपिल देव एवं श्री पवन कुमार के नेतृत्व में कार्यक्रम की सभी व्यवस्थाओं का कुशल संचालन किया गया, जबकि संयोजन का दायित्व डॉ. स्वाति द्वारा प्रभावशाली ढंग से निभाया गया। इस सफल आयोजन में श्री दिनेश कुमार, श्री पवन (एल.ए.), श्री अशोक (पुस्तकालय सहायक) एवं श्री संदीप (क्लर्क) सहित अन्य समर्पित कर्मचारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए और उनके कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें समाज में पर्यावरण के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का संदेश दिया गया।
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